Monthly Archives: April 2018

आँसू ( पृष्ठ- १)

इस करुणा कलित हृदय में अब विकल रागिनी बजती क्यों हाहाकार स्वरों में वेदना असीम गरजती? मानस सागर के तट पर क्यों लोल लहर की घातें कल कल ध्वनि से हैं कहती कुछ विस्मृत बीती बातें? आती हैं शून्य क्षितिज

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तीन पाती तथा संदेश

स्याम कर पत्री लिखी बनाइ । नंद बाबा सौं बिनै, कर जोरि जसुदा माइ ॥ गोप ग्वाल सखान कौं हिलि-मिलन कंठ लगाइ । और ब्रज-नर-नारि जे हैं, तिनहिं प्रीति जनाइ ॥ गोपिकनि लिखि जोग पठयो, भाव जानि न जाइ ।

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उद्धव को ब्रज भेजना

अंतरजामी कुंवर कन्हाई । गुरु गृह पढ़त हुते जहँ विद्या, तहँ ब्रज-बासिनि की सुधि आई ॥ गुरु सौं कह्यौ जोरि कर दोऊ, दछिना कहौ सो देउँ मँगाई । गुरु-पतनी कह्यौ पुत्र हमारे, मृतक भये सो देहु जिवाई ॥ आनि दिए

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